देशव्यापी सहयोग के आह्वान के साथ पारुल सिंह ने विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 की तैयारियों को तेज़ किया
27 सितंबर से 5 अक्टूबर तक दिल्ली में होने वाले टूर्नामेंट के लिए पैरालंपिक समिति की अध्यक्ष पारुल सिंह ने सभी राज्यों से संसाधन, उपकरण और जनसमर्थन जुटाने का आग्रह...

27 सितंबर से 5 अक्टूबर तक दिल्ली में होने वाले टूर्नामेंट के लिए पैरालंपिक समिति की अध्यक्ष पारुल सिंह ने सभी राज्यों से संसाधन, उपकरण और जनसमर्थन जुटाने का आग्रह किया।
दिल्ली में इस साल सितंबर-अक्टूबर में आयोजित होने वाले 12वें विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप को सफल बनाने के लिए दिल्ली राज्य पैरा ओलंपिक समिति की अध्यक्ष पारुल सिंह अब देशभर के राज्यों के साथ तालमेल बढ़ाने में जुटी हैं। उन्होंने हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की, जहां उन्होंने राज्य के स्तर पर सहयोग मांगा।
बैठक के दौरान पारुल सिंह ने मुख्यमंत्री सोरेन को भगवान राम–सीता की पारंपरिक चित्रकला भेंट की और पैरा एथलेटिक्स के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह आयोजन सिर्फ खेल का मेला नहीं, बल्कि भारत में पैरा खिलाड़ियों के लिए दीर्घकालिक आधारशिला रखने का अवसर है।
पारुल सिंह ने एक मीडिया संवाद में स्पष्ट किया कि चैंपियनशिप हमारे खिलाड़ियों को विश्व मंच पर पहचान दिलाने के साथ-साथ देश में समावेशी और स्थायी खेल संरचना के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगी। उनका कहना था, “यह आयोजन इंटरनेशनल रैंकों में भारत को मजबूत करेगा, लेकिन उससे बढ़कर यह पैरा खिलाड़ियों के लिए बेहतर सुविधाओं और प्रशिक्षण में दीर्घकालिक निवेश का संदेश भी है।”
27 सितम्बर से 5 अक्टूबर तक जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में होने वाले इस मंच पर करीब 100 से अधिक देशों के 1,000 से ज़्यादा एथलीट हिस्सा लेंगे, जिनमें कुल 186 प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। इसे भारत का अब तक का सबसे बड़े पैरा-खेल आयोजन के रूप में परिभाषित किया जा रहा है।
मार्च 2025 में दिल्ली में संपन्न वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स ग्रां प्री में पारुल सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका ने लॉजिस्टिक्स और पहुंच-योग्यता सुनिश्चित करने में उनकी सक्रियता को दिखाया था। उस आयोजन में 20 देशों के 283 एथलीट शामिल थे, जिसे इस चैंपियनशिप की पूर्व प्रैक्टिस माना गया था।
चैंपियनशिप का औपचारिक शुभारंभ 20 जून को दिल्ली के मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और सांसद कंगना रनौत की मौजूदगी में हुआ, जब एथलेटिक्स जगत के प्रमुख पॉल फिट्ज़गेराल्ड ने शुभंकर “विराज” का अनावरण किया। ब्लेड प्रोस्थेसिस युक्त हाथी का यह प्रतीक आत्मविश्वास और अनुकूलन की शक्ति दर्शाता है।
पारुल सिंह लंबे समय से पैरा खेलों के लिए नीतिगत और सामाजिक परिवर्तन की पैरवी कर रही हैं। उनका मानना है कि “1.4 अरब आबादी वाले देश में हमारे पैरा एथलीट आज भी अवहेलना का शिकार हैं; यह चैंपियनशिप सोच बदलने का बेहतरीन मौका है।”
दिल्ली तक सीमित न रहकर उन्होंने अन्य राज्यों के प्रशासन और खेल मंत्रालयों से भी वार्ता शुरू कर दी है, ताकि हर प्रदेश से खिलाड़ियों की भागीदारी और आवश्यक संसाधन सुनिश्चित किए जा सकें। इस समन्वय से भारत की 2036 ओलंपिक्स एवं पैरालंपिक्स की मेजबानी की संभावना भी और प्रबल होगी।
कोबे 2024 चैंपियनशिप में भारत के लिए पदक जीत चुके प्रवीण कुमार (हाई जंप T64) और नवदीप सिंह (जैवेलिन F41) इस बार भी भारत की उम्मीदों के केंद्र में होंगे। कोबे से लौटकर भारत ने 17 पदक (6 स्वर्ण) जीते थे, जिससे देश में आत्मविश्वास का संचार हुआ।
इसी बीच इंडियन ऑयल, बीपीसीएल जैसे प्रमुख संस्थान टूर्नामेंट को स्पॉन्सर कर रहे हैं। पारुल सिंह आयोजन के हर आयाम—ट्रांसपोर्ट व्यवस्था, वॉलंटियर प्रशिक्षण, ठहरने की सुविधाएं और मीडिया कवरेज—पर बारीकी से नजर रख रही हैं।
चैंपियनशिप के शेष महीनों में पारुल सिंह का समर्पित नेतृत्व न सिर्फ आयोजन की सफलता सुनिश्चित करेगा, बल्कि समावेशी खेल संस्कृति को राष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत करेगा। उनके लिए यह केवल एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि भारत के दिव्यांग समुदाय को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने का स्वर्णिम अवसर है।
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