बीकानेर हाउस में आयोजित तीजोत्सव हैंडीक्राफ्ट और फूड मेले का हुआ समापन
राजस्थानी व्यंजन, कलाकृतियों और हस्तशिल्प ने दर्शकों का दिल जीत लिया, ₹70 लाख से अधिक की बिक्री नई दिल्ली, 01 अगस्त , 2025 नई दिल्ली के बीकानेर हाउस में आयोजित...

राजस्थानी व्यंजन, कलाकृतियों और हस्तशिल्प ने दर्शकों का दिल जीत लिया, ₹70 लाख से अधिक की बिक्री
नई दिल्ली, 01 अगस्त , 2025
नई दिल्ली के बीकानेर हाउस में आयोजित साप्ताहिक तीजोत्सव क्राफ्ट एवं फूड मेला बुधवार को पूरे हर्षोल्लास के साथ समाप्त हुआ। इस तीजोत्सव में राजस्थान के विभिन्न अंचलों से आए दस्तकारों, हस्तकलाकारों सहित विविध कलाओं के कलाकारों और खानपान के स्टाॅल्स पर लगभग 70 लाख रूप्ये की बिक्री हुई।
राजीविका की स्टेट प्रोजेक्ट प्रबंधक श्रीमती नीरू मीना ने बताया कि मेले में राजीविका के माध्यम से दिल्ली आए महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित इन कलाकारों द्वारा 47 स्टाॅल्स लगाए गए जिनमें हैंडब्लाॅक बेडशीट, सूट, साड़ियों, कंगन और ज्वैलरी, मोजड़ियां, लाख की वस्तुएं, चमड़े से बने सामान सहित राजस्थानी व्यंजनों के स्टाॅल पर खूब बिक्री हुई। उन्होंने बताया कि राजीविका के स्टाॅल्स पर लगभग 52 लाख से अधिक राषि के सामान की बिक्री की गई।
सरस डेयरी के आवासीय प्रबंधक श्री सुरेश सेन ने बताया कि इस वर्ष तीजोत्सव में उनके दुग्ध उत्पादों को लोगों ने काफी पसंद किया। उन्हांेंने बताया कि विभिन्न जिला दुग्ध संघों से प्राप्त मिठाईयों में अलवर का कलाकंद, बीकानेर के रसगुल्ले, गुलाब जामुन, सोहन पापड़ी, श्रीगंगानगर से गाय का घी, अलवर से छाछ, लस्सी और श्रीखंड ने लोगों मे अपनी अलग पहचान बनाई। उन्होंने बताया कि सरस के कांउटर पर लगभग 3 लाख रूपये की बिक्री हुई।
रूडा के श्री ओम प्रकाष ने बताया कि मेले में रूडा की तरफ से लगाएं गए 16 राजस्थानी हस्तशिल्प और परिधानों से जुड़े स्टाॅल्स पर लगभग 16 लाख से अधिक की बिक्री हुई।
अतिरिक्त आवासीय आयुक्त श्रीमती अंजु ओम प्रकाश ने बताया कि मेले के समापन दिवस पर बांग्लादेश की उच्चायुक्त की पत्नी श्रीमती शाजिया ने मेले का अवलोकन किया। इस अवसर पर उन्होंने राजस्थानी कला और संस्कृति के अद्भुत संगम रूपी इस मेले की प्रशंसा की।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान के मुख्य सचिव श्री सुधांश पंत द्वारा शुभारंभ इस मेले का उदेश्य दिल्ली में अप्रवासी राजस्थानियों और दिल्लीवासियों को राजस्थानी की पारंपरिक परिदृश्य से अवगत करवाना था।
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