‘रूट्स टू रिवर्स’: बिकानेर हाउस में रामणी मैलवरपु की कला यात्रा का नया अध्याय
प्रदर्शनी 19 से 23 सितम्बर 2025 तक, प्रतिदिन सुबह 11 से शाम 7 बजे तक दर्शकों के लिए खुली

प्रदर्शनी 19 से 23 सितम्बर 2025 तक, प्रतिदिन सुबह 11 से शाम 7 बजे तक दर्शकों के लिए खुली
नई दिल्ली: हैदराबाद की परफ़ॉर्मेंस आर्टिस्ट रामणी मैलवरपु ने शुक्रवार को नई दिल्ली के बिकानेर हाउस, कलमकार में अपनी सोलो प्रदर्शनी रूट्स टू रिवर्स का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी में उनके आठ वर्षों की कलाकृतियाँ शामिल हैं, जिनमें सामाजिक सरोकार और नारीवादी दृष्टिकोण साफ़ झलकते हैं। इसमें वॉइसेज़ ऑफ़ वेव्स (उप्पाडा के मछुआरा समुदाय पर आधारित), इनविज़िबल रूट्स (अराकू जनजातियों के साथ), पंचकन्याएँ और मोना लिसा विद मास्क जैसी चर्चित शृंखलाएँ प्रदर्शित की गई हैं। प्रदर्शनी का समापन असम के मानस क्षेत्र पर आधारित उनके नवीनतम कार्यों से होता है, जिनमें स्मृति, प्रतिरोध और पर्यावरणीय चेतना की परतें नज़र आती हैं।

उद्घाटन मौके पर मैलवरपु ने प्लंज नामक लाइव परफ़ॉर्मेंस प्रस्तुत की। इसमें उन्होंने एक यात्री का रूप धारण किया, जो अपने कंधों पर ‘मुटा’ (गठरी) का बोझ उठाए प्रतीकात्मक नदी के किनारे अनुष्ठान करता है। दर्शकों द्वारा उसमें कचरा डालने से वह धीरे-धीरे घुटने लगता है—नदियों के प्रदूषण की वास्तविकता का यह सशक्त प्रतीक था। परफ़ॉर्मेंस के अंत में कलाकार ने स्वयं को इस कचरे से मुक्त किया और नदी की संरक्षिका की भूमिका में लौट आईं, यह संदेश देते हुए कि जल संरक्षण नागरिकों, उद्योगों और संस्थानों की साझा ज़िम्मेदारी है।
विशिष्ट अतिथियों में कला-जगत के वरिष्ठ हस्ताक्षर श्री संजय रॉय और श्री निरन सेनगुप्ता उपस्थित रहे।
संजय रॉय ने कहा, “रामणी की कला व्यक्तिगत और सामूहिक अनुभवों के बीच एक अनोखा सेतु बनाती है। उनके परफ़ॉर्मेंस में आप केवल कलाकार को काम करते हुए नहीं देखते, बल्कि समाज की बेचैनियों और चिंताओं को सीधे महसूस करते हैं। यही उनकी कला की सबसे बड़ी ताक़त है—वह दर्शक को सिर्फ़ देखने तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उसे भीतर से सोचने और प्रतिक्रिया देने के लिए विवश करती है। इसीलिए उनकी हर प्रस्तुति हमें अपने समय और समाज के प्रति ज़िम्मेदार बनाती है।”
निरेन सेनगुप्ता ने कहा, “रामणी के कामों में एक आध्यात्मिक गहराई है, जो मानव जीवन की संवेदनाओं को गहराई से छूती है। प्लंज को देखकर मुझे दर्द भी महसूस हुआ और उम्मीद भी दिखाई दी। जब वह कचरे में घुट रही थीं, तो लगा जैसे हमारी नदियाँ हमें पुकार रही हों। और जब उन्होंने स्वयं को मुक्त किया, तो वह दृश्य हमें याद दिलाता है कि प्रकृति की रक्षा के बिना मानवता का भविष्य संभव नहीं। उनकी कला केवल सौंदर्य का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि वह हमें चेताती है कि कला का अर्थ ज़िम्मेदारी भी है।”
अपने परफ़ॉर्मेंस के बारे में रामणी मैलवरपु ने कहा, “प्लंज मेरे लिए एक व्यक्तिगत यात्रा भी है और सामाजिक पुकार भी। इस परफ़ॉर्मेंस के दौरान जो घुटन मैंने महसूस की, वह असलियत में नदियों की पीड़ा की तुलना में कुछ भी नहीं है। नदियाँ हर दिन हमारे द्वारा डाले गए कचरे और प्रदूषण से जूझ रही हैं, और हम चुपचाप देखते रहते हैं। मैं चाहती हूँ कि दर्शक सिर्फ़ कला को न देखें, बल्कि उससे जुड़कर यह महसूस करें कि जल की रक्षा कोई विकल्प नहीं बल्कि हमारी साझा ज़िम्मेदारी है। अगर हम समय रहते न चेते, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें कभी माफ़ नहीं करेंगी।”
प्रदर्शनी प्रतिदिन सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक खुली रहेगी। दर्शक इसे 19 से 23 सितम्बर 2025 तक बिकानेर हाउस, कलमकार में देख सकते हैं।
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