आनंद चोरडिया को ISHRAE CoOL कॉन्क्लेव 2025 में सतत नवाचार के लिए सम्मानित किया गया
नई दिल्ली , 19 अगस्त 2025 सतत विकास के अग्रदूत और हरित नवप्रवर्तनकर्ता आनंद चोरडिया, संस्थापक, द इको फैक्ट्री फाउंडेशन (TEFF) और निदेशक (प्रौद्योगिकी व नवाचार), सुहाना स्पाइसेस, को ISHRAE...

नई दिल्ली , 19 अगस्त 2025
सतत विकास के अग्रदूत और हरित नवप्रवर्तनकर्ता आनंद चोरडिया, संस्थापक, द इको फैक्ट्री फाउंडेशन (TEFF) और निदेशक (प्रौद्योगिकी व नवाचार), सुहाना स्पाइसेस, को ISHRAE CoOL कॉन्क्लेव 2025 में प्रतिष्ठित ‘डीकार्बोनाइज़ेशन एक्सीलेंस अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। यह HVAC&R क्षेत्र में कार्बन-मुक्त बदलाव और सतत विकास के लिए भारत का सबसे बड़ा मंच है।
यह ढाई दिवसीय कॉन्क्लेव Indian Society of Heating, Refrigerating & Air-Conditioning Engineers (ISHRAE) द्वारा शेराटन ग्रैंड पैलेस, इंदौर में पिछले पखवाड़े आयोजित किया गया, जिसमें उद्योग जगत के अग्रणी, वास्तुकार, डेवलपर्स, नीति विशेषज्ञ और नवप्रवर्तक एक साथ एक नेट-जीरो भविष्य की दिशा में समाधान प्रस्तुत करने के लिए एकत्र हुए।
आनंद चोरडिया को ‘व्यक्तिगत योगदान (विरासत)’ श्रेणी में यह सम्मान प्राप्त हुआ, जिसमें 150+ नामांकनों में से उनका चयन हुआ। यह पुरस्कार उन्हें मध्य प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री, माननीय कैलाश विजयवर्गीय द्वारा प्रदान किया गया। इस अवसर पर ‘सोलर मैन ऑफ इंडिया’ के रूप में प्रसिद्ध प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी और पंकज धारकर भी उपस्थित रहे।
आनंद चोरडिया ने कहा, “यह सम्मान प्राप्त कर मैं अत्यंत विनम्र अनुभव कर रहा हूं। यह मुझे इस दिशा में और अधिक प्रेरित करता है, ताकि मैं एक स्वच्छ, हरित, स्वस्थ, सतत और समृद्ध भारत की दिशा में अपने प्रयासों को जारी रख सकूं। मेरा उद्देश्य है कि शहरी और ग्रामीण समुदायों को सतत जीवनशैली अपनाने में सहयोग मिल सके।”
उद्देश्य आधारित नवाचार की विरासत को पहचान : आनंद चोरडिया ने विज्ञान, तकनीक और जमीनी जुड़ाव के माध्यम से भारत की सततता यात्रा को गति दी है। उनकी संस्था TEFF के माध्यम से उन्होंने सर्कुलर इकॉनमी, जीरो-वेस्ट मॉडल, ग्रामीण कौशल विकास, पुनर्योजी कृषि और स्वच्छ प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में व्यावहारिक मॉडल विकसित किए हैं।
हजारों किसानों, माइक्रो-उद्यमियों और ग्रामीण समुदायों तक TEFF के प्रभाव से उनका कार्य पर्यावरणीय स्थिरता को आर्थिक सशक्तिकरण के साथ जोड़ने का एक सशक्त खाका प्रस्तुत करता है। उनका प्रयास ISHRAE कॉन्क्लेव के उद्देश्यों से गहराई से मेल खाता है — शहरी व औद्योगिक तंत्र में कम-कार्बन संक्रमण को प्रेरित करना।
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