डॉ. के.ए. पॉल का बड़ा आरोप: दिल्ली हाईकोर्ट जज के घर से 1,000 करोड़ की बरामदी, सीबीआई जांच की मांग
वैश्विक शांति दूत डॉ. के.ए. पॉल ने दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं और उनकी तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है। डॉ. पॉल...

वैश्विक शांति दूत डॉ. के.ए. पॉल ने दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं और उनकी तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है। डॉ. पॉल के अनुसार, वर्मा के आवास पर एक आग के दौरान ₹1,000 करोड़ से अधिक की नकद राशि बरामद की गई थी, लेकिन अधिकारियों ने इस मामले को दबाने की कोशिश की। इस घोटाले को छिपाने के लिए न्यायाधीश का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया।
डॉ. पॉल ने कहा कि इस मामले में सीबीआई, ईडी और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की एक निष्पक्ष जांच टीम गठित की जाए, ताकि सच्चाई का खुलासा हो सके। उन्होंने भ्रष्ट न्यायाधीशों के खिलाफ न्यायिक प्रतिरक्षा समाप्त करने की भी मांग की, ताकि संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत कानून की समानता सुनिश्चित की जा सके।
डॉ. पॉल की प्रमुख मांगें
- न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की तत्काल गिरफ्तारी और उनसे पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया जाए।
- सीबीआई, ईडी और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की जाए।
- भ्रष्ट न्यायाधीशों की न्यायिक प्रतिरक्षा समाप्त की जाए और कानून की समानता को सुनिश्चित किया जाए।
- मीडिया द्वारा निष्पक्ष रिपोर्टिंग की जाए, ताकि घोटाले को दबाने के प्रयास विफल हों।
- न्यायपालिका की जवाबदेही तय की जाए, ताकि राजनीतिक हस्तक्षेप को रोका जा सके।
डॉ. पॉल का बयान
“यह एक बेहद चौंकाने वाली घटना है। दिल्ली हाईकोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश के घर में आग लगती है और वहां से ₹1,000 करोड़ से अधिक की नकदी बरामद होती है, लेकिन इसके बावजूद कोई जांच नहीं की जाती। इसके बजाय, यह धन गुप्त रूप से हटा लिया जाता है और न्यायाधीश का तबादला कर दिया जाता है। कानून मंत्री और भारत के मुख्य न्यायाधीश इस पर चुप क्यों हैं?” डॉ. पॉल ने सवाल उठाए।
उन्होंने इस घोटाले को लेकर कानून मंत्री और मुख्य न्यायाधीश की चुप्पी पर कड़ी आलोचना की और चेतावनी दी कि अगर भ्रष्ट न्यायाधीशों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो भारतीय न्यायपालिका का साख पूरी दुनिया में दांव पर होगा।
डॉ. पॉल ने मीडिया और नागरिकों से इस घोटाले के बारे में जागरूकता फैलाने और न्याय की मांग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह केवल एक न्यायाधीश का मामला नहीं, बल्कि भारतीय न्याय व्यवस्था और लोकतंत्र की रक्षा का सवाल है।
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