कोर्ट-नियुक्त प्रबंधन में फंसी यूनिटेक, ₹40,000 करोड़ की संपत्तियों का हुआ नुकसान; घर खरीदारों ने मांगा तत्काल समाधान

एमडी युधवीर सिंह मलिक पर उठे सवाल, बढ़ते घाटे और रुकी परियोजनाओं को लेकर बढ़ी नाराजगी
नई दिल्ली | 6 जून 2025 —
कभी भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र की प्रमुख कंपनी मानी जाने वाली यूनिटेक लिमिटेड अब गहरे संकट में है। सुप्रीम कोर्ट के 2020 के आदेश के बाद नियुक्त किए गए कोर्ट-नियुक्त प्रबंधन की अगुवाई में कंपनी का प्रदर्शन लगातार गिरता जा रहा है। घर खरीदारों और अन्य हितधारकों का आरोप है कि पुनरुद्धार की उम्मीद अब नौकरशाही जटिलताओं में उलझ चुकी है, जिससे विश्वास टूट रहा है और परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं।
विशेष रूप से, प्रस्तावित समाधान योजना (Resolution Plan – RP) में नोएडा, गुरुग्राम और चेन्नई जैसे प्रमुख शहरी क्षेत्रों में फैले यूनिटेक के भूमि भंडार का अत्यधिक कम मूल्यांकन किया गया है। उदाहरण के तौर पर, नोएडा की जमीन को केवल ₹5,641 करोड़ आंका गया है, जबकि स्वतंत्र मूल्यांकन इसे ₹40,000 करोड़ तक मानते हैं। आलोचकों का कहना है कि जानबूझकर संपत्ति का कम मूल्यांकन कर कंपनी की क्षमता को छिपाया गया है।
बढ़ता घाटा और रुकी परियोजनाएं
एमडी युधवीर सिंह मलिक के नेतृत्व में यूनिटेक अब तक ₹5,000 करोड़ से अधिक का घाटा उठा चुकी है। नोएडा प्राधिकरण के बकाये ₹2,700 करोड़ से बढ़कर ₹11,000 करोड़ हो चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट दिवालियापन के कारण नहीं, बल्कि खराब वित्तीय प्रबंधन, निर्णयों की देरी और व्यावसायिक दिशा की कमी के चलते हुई है।
कंपनी पर कानूनी मुकदमे भी तेजी से बढ़े हैं, जिससे परियोजनाएं और भी लटक गई हैं। हितधारकों का आरोप है कि प्रबंधन पारदर्शी समाधान की बजाय नौकरशाही रवैया अपना रहा है, जिससे निवेशकों और खरीदारों की चिंताएं और बढ़ रही हैं।
शासन प्रणाली पर भी उठे सवाल
प्रस्तावित समाधान योजना की कुछ शर्तें भी विवाद में हैं। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ प्रावधान ऐसे हैं जो मौजूदा प्रबंधन को जवाबदेही से बचाने और हितधारकों के कानूनी अधिकारों को सीमित करने के उद्देश्य से जोड़े गए हैं। पारदर्शिता, जो कोर्ट की अपेक्षा थी, उसमें भी गंभीर कमी देखी जा रही है।
एमडी युधवीर सिंह मलिक का पूर्व प्रशासनिक रिकॉर्ड भी संदेह के घेरे में है—खासकर नेस्ले इंडिया विवाद और उनके कथित ‘अधिकार के दुरुपयोग’ के मामलों को लेकर।
जनता में बढ़ा असंतोष
हजारों घर खरीदार अब भी उन घरों की ईएमआई भर रहे हैं, जो उन्हें अब तक नहीं मिले हैं। दूसरी ओर, कंपनी का प्रबंधन सरकारी आवासों में रह रहा है और अदालती सुरक्षा के तहत आराम से काम कर रहा है। यह असमानता खरीदारों की नाराजगी और अविश्वास को और बढ़ा रही है।
अनुभव वाले पेशेवरों की मांग
हितधारकों की स्पष्ट मांग है कि यूनिटेक को अब ऐसे पेशेवर नेतृत्व की आवश्यकता है, जिनके पास रियल एस्टेट, मूल्यांकन और परियोजना प्रबंधन का वास्तविक अनुभव हो। वे मानते हैं कि मौजूदा नेतृत्व के अंतर्गत कंपनी के पुनरुद्धार की कोई संभावना नहीं बची है।
“सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप उम्मीद की किरण था,” एक खरीदार प्रतिनिधि ने कहा। “लेकिन दिशा भटक गई है। अब सुधार की जरूरत है—और वह भी तुरंत।”
हितधारकों ने सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार से अपील की है कि मौजूदा प्रबंधन को हटाकर, समाधान योजना की दोबारा समीक्षा की जाए और एक सक्षम पेशेवर टीम को नियुक्त किया जाए, जो यूनिटेक का पुनरुद्धार कर सके और घर खरीदारों को न्याय दिला सके।
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