ISRO के 10 सैटेलाइट 24×7 सीमाओं पर नजर, चेयरमैन नारायणन ने की जानकारी

127 उपग्रहों की मदद से भू–समीक्षा और समुद्री सुरक्षा सशक्त; 18 मई को RISAT-1B (EOS-09) का प्रक्षेपण
नई दिल्ली, भारत–पाकिस्तान सीमा पर तनाव के बीच, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन वी. नारायणन ने बताया कि देश की सरहदों और समुद्री इलाकों की चौबीसों घंटे निरीक्षण व्यवस्था के लिए ISRO के दस उपग्रह निरंतर कार्यरत हैं। यह खुलासा उन्होंने अगरतला स्थित केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में किया।
उपग्रहों का विस्तृत नेटवर्क:
अब तक ISRO ने कुल 127 भारतीय उपग्रहों को مدار में स्थापित किया है। इनमें से 22 लघु-उत्तरीय कक्षा (LEO) के हैं, जबकि 29 भू-समकालिक कक्षाओं (GEO) में तैनात हैं। सीमा निगरानी और गुप्त सेवाओं के लिए मुख्यतः Cartosat, RISAT, EMISAT तथा Microsat श्रृंखला के करीब एक दर्जन स्पाई एवं सर्विलांस उपग्रह प्रयोग में लाए जाते हैं। इनकी सहायता से भौगोलिक सीमाओं और समुद्री गतिविधियों पर सतत् दृष्टि रखी जाती है।
आगामी प्रक्षेपण से सशक्त निगरानी:
ISRO अपनी निगरानी क्षमताओं को और उन्नत करने की तैयारी में है। 18 मई, 2025 को Sun-Synchronous Orbit में EOS-09 (RISAT-1B) रडार इमेजिंग उपग्रह का प्रक्षेपण किया जाएगा, जो सीमाओं पर व्यापक जाँच में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
निजी क्षेत्र की भागीदारी और भविष्य की योजनाएँ:
IN-SPACe के चेयरमैन पवन गोयनका के अनुसार, अगले पाँच वर्षों में 52 नए निगरानी उपग्रहों का लॉन्च करने की रूपरेखा तैयार है, जिसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने पर विशेष ध्यान होगा। ये उपग्रह भारतीय थल, नौसेना एवं वायुसेना को रीयल-टाइम इंटेलिजेंस व अवलोकन सेवा प्रदान करेंगे।
पूर्वोत्तर विकास में ISRO की भूमिका:
चेयरमैन नारायणन ने पूर्वोत्तर राज्यों में विकास कार्यों की निगरानी एवं क्रियान्वयन में ISRO की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। कहा कि कृषि, बाढ़-नियंत्रण व अवसंरचना परियोजनाओं में सैटेलाइट डेटा का व्यापक उपयोग हो रहा है।
दीक्षांत समारोह में संदेश:
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नारायणन ने छात्रों से कहा, “डिग्री प्राप्ति के बाद समाज को कुछ लौटाना आपकी नैतिक जिम्मेदारी है। जब भारत 2047 में आज़ादी के सौ वर्ष पूरे करेगा, तब वह पूरी दुनिया के लिए मार्गदर्शक राष्ट्र होगा।”
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