अटल बिहारी वाजपेयी के विचारों और सनातन मूल्यों पर आधारित पुस्तक के लोकार्पण में उपराष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्री और कई वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों ने साझा किए प्रेरक विचार।
नई दिल्ली | 23 दिसंबर 2025
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी द्वारा लिखित पुस्तक “सनातन संस्कृति की अटल दृष्टि” का भव्य लोकार्पण मंगलवार को उपराष्ट्रपति एनक्लेव, नई दिल्ली में एक गरिमामय समारोह के दौरान संपन्न हुआ। यह कृति भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन, विचारों और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण को सनातन संस्कृति के आलोक में प्रस्तुत करती है।
इस अवसर पर माननीय उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री सुनील आम्बेकर, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष श्री मिलिंद मराठे, उपराष्ट्रपति के सचिव श्री अमित खरे सहित अनेक प्रतिष्ठित अतिथि उपस्थित रहे।
समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने कहा कि भारत आज वैश्विक मंच पर एक शक्तिशाली और संभावनाओं से भरपूर राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत माता के चरणों में नमन के साथ अटल जी पर केंद्रित इस पुस्तक का लोकार्पण करना उनके लिए भावुक और गर्व का क्षण है। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को दूरदर्शी राष्ट्रनिर्माता बताते हुए कहा कि उनकी नीतियों ने आधुनिक भारत की मजबूत नींव रखी।
उपराष्ट्रपति ने अटल जी के साथ अपने संस्मरण साझा करते हुए कहा कि वे सिद्धांतों के प्रति अडिग, किंतु व्यक्तित्व में अत्यंत विनम्र और करुणाशील थे। “राष्ट्र पहले, पार्टी बाद में और स्वयं सबसे अंत में” का आदर्श उनके जीवन का मूल मंत्र था। उन्होंने कहा कि अटल जी के नेतृत्व में आधारभूत संरचना, परमाणु शक्ति और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में लिए गए निर्णय आज भी भारत को दिशा दे रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी ने अपने संबोधन में कहा कि सनातन, हिंदू और भारतीय संस्कृति अलग-अलग नहीं, बल्कि एक ही चेतना के विभिन्न रूप हैं। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन इस सांस्कृतिक समन्वय और सर्वधर्म समभाव का सशक्त उदाहरण था। श्री गडकरी ने पुस्तक को सकारात्मक वैचारिक दृष्टि प्रस्तुत करने वाला महत्वपूर्ण प्रयास बताया।
पुस्तक के लेखक श्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि यह कृति अटल जी के जीवन को सनातन संस्कृति के शाश्वत मूल्यों के माध्यम से समझने का एक विनम्र प्रयास है। उन्होंने कहा कि अटल जी की यात्रा—संघ प्रचारक से प्रधानमंत्री तक—इस बात का प्रमाण है कि सांस्कृतिक मूल्यों से प्रेरित जीवन राष्ट्र सेवा की ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है।

उन्होंने बताया कि 12 अध्यायों और 146 पृष्ठों में समाहित यह पुस्तक अटल जी के व्यक्तित्व, संसदीय परंपराओं, सांस्कृतिक चेतना, विदेश नीति और राष्ट्रनिर्माण में उनके योगदान को विस्तार से प्रस्तुत करती है।
कार्यक्रम के अंत में श्री देवनानी ने सभी अतिथियों और प्रभात प्रकाशन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह पुस्तक आने वाली पीढ़ियों के लिए राष्ट्रवाद, संस्कृति और लोकतांत्रिक मूल्यों की प्रेरक धरोहर बनेगी। समारोह का संचालन प्रभात प्रकाशन के निदेशक श्री प्रभात कुमार ने किया, जबकि श्री पीयूष कुमार ने मंचासीन अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट किए।