क्या पाकिस्तान लौटेंगे हिंदू शरणार्थी? भारत के नए फैसले पर विदेश मंत्रालय ने दी सफाई

आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया, सिंधु जल संधि भी की गई स्थगित; पहले से रह रहे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को नहीं होगी देश से निकाले जाने की चिंता
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इन कदमों में एक बड़ा निर्णय यह भी है कि भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को अब वापस उनके देश भेजा जाएगा। ऐसे में यह सवाल उठने लगा कि भारत में कई वर्षों से बसे हुए हिंदू पाकिस्तानी शरणार्थियों का भविष्य क्या होगा।
इस मुद्दे पर विदेश मंत्रालय ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि जिन पाकिस्तानी हिंदुओं को पहले ही दीर्घकालिक वीजा (एलटीवी) जारी किया जा चुका है, उन्हें इस फैसले से कोई खतरा नहीं है। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने जानकारी दी कि पाकिस्तान के लिए वीजा सेवाएं 24 अप्रैल 2025 से निलंबित कर दी गई हैं। हालांकि, यह निलंबन केवल नई वीजा सेवाओं पर लागू होगा, न कि पहले से जारी एलटीवी पर।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों के पास पहले से वैध एलटीवी है, वे भारत में वैध रूप से रह सकते हैं और उन्हें वापस जाने की जरूरत नहीं है। इस तरह यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार की नई नीति उन पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों पर लागू नहीं होगी जो पहले से भारत में रह रहे हैं।
सिंधु जल संधि भी बनी टकराव का कारण
इसके साथ ही भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को लेकर भी कड़ा रुख अपनाया है। जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देवश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा को पत्र भेजकर यह जानकारी दी है कि भारत ने संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखने का फैसला किया है।
सरकार ने यह कदम संधि के अनुच्छेद 12(3) के तहत भेजे गए पूर्व नोटिसों के आधार पर उठाया है, जिसमें संधि की कुछ शर्तों में संशोधन की मांग की गई थी। भारत का तर्क है कि जनसंख्या में वृद्धि, स्वच्छ ऊर्जा की बढ़ती आवश्यकता और जल बंटवारे के मूल सिद्धांतों में हुए बदलावों को देखते हुए अब संधि पर दोबारा विचार करना जरूरी हो गया है।
भारत ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि उसने न केवल संधि की शर्तों का उल्लंघन किया है, बल्कि बातचीत के प्रयासों को भी अनदेखा किया है। इसके साथ ही भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद से देश की सुरक्षा को खतरा बढ़ा है, जिसके चलते भारत अपने अधिकारों का पूरा उपयोग नहीं कर पा रहा था।
सरकार ने इस फैसले को राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए गंभीर विचार-विमर्श के बाद लिया है और फिलहाल सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है।
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