संदिग्ध पादरी प्रवीन पगडाला मौत: CBI जांच के लिए हाईकोर्ट में याचिका

22 बिंदुओं के साथ हत्या की आशंका जताई, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता व्यक्त
पादरी प्रवीन पगडाला की संदिग्ध मृत्यु अब एक नए मोड़ पर आ गई है, जब प्रसिद्ध शांति कार्यकर्ता और मानवाधिकार समर्थक डॉ. के.ए. पॉल ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए जनहित याचिका दायर की। उन्होंने इस घटना को केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि पूर्व-नियोजित हत्या करार दिया है और कहा कि अब तक की जांच प्रक्रिया में गंभीर खामियाँ हैं।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट अब तक नहीं जारी, परिवार पर दबाव का आरोप
डॉ. पॉल ने अदालत के समक्ष 22 ठोस बिंदु पेश किए, जिनसे यह संदेह मजबूत होता है कि यह कोई सामान्य मौत नहीं थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि:
- पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।
- एफआईआर दर्ज करने में अनुचित देरी हुई।
- परिवार और करीबी दोस्तों को धमकाया जा रहा है।
- पूरे मामले में संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को एक सुनियोजित साजिश बताते हुए अदालत से अपील की कि मामले को निष्पक्ष जांच एजेंसी, यानी सीबीआई को सौंपा जाए।
पुलिस व राजनीतिक अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल
डॉ. पॉल ने कुछ पुलिस और राजनीतिक अधिकारियों की चुप्पी को संदेहास्पद बताया और सवाल उठाए कि जांच से पहले ही वीडियो फुटेज का प्रसार कैसे हो गया। उन्होंने इसे कानून का उल्लंघन बताते हुए न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास कहा।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी उठा मामला
डॉ. पॉल ने बताया कि वे हाल ही में यूरोप में एक अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन से लौटे हैं, जहां अमेरिका और यूरोपीय देशों के नेता इस घटना को लेकर चिंतित हैं।
उन्होंने कहा,
“यह केवल एक भारतीय मामला नहीं है, यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा से जुड़ा विषय बन चुका है।”
“यह एक व्यक्ति की नहीं, पूरे संविधान की लड़ाई है” – डॉ. पॉल
डॉ. पॉल ने कहा,
“यह सिर्फ पादरी प्रवीन की मृत्यु नहीं, बल्कि भारत के हर नागरिक के न्याय और अधिकारों की लड़ाई है — खासकर उन लोगों के लिए जो धार्मिक हिंसा का शिकार हो रहे हैं।”
उन्होंने देश के नेताओं, सामाजिक संगठनों, मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं से अपील की कि वे इस मामले पर नज़र रखें और सुनिश्चित करें कि दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए।
अब यह देखना अहम होगा कि अदालत इस याचिका पर क्या रुख अपनाती है और क्या यह मामला सीबीआई को सौंपा जाता है या नहीं। पादरी प्रवीन की रहस्यमयी मौत अब न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक और अंतरराष्ट्रीय विमर्श का विषय बन चुकी है।
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