क्लब में नेता से बदसलूकी पर बवाल: ₹2,500 करोड़ का नोटिस, स्वतंत्र प्रशासक की मांग

देश के प्रतिष्ठित राजनीतिक हस्तियों में शामिल अंशुमान जोशी के साथ कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में कथित रूप से हुई बदसलूकी ने राजनीतिक और सामाजिक महफ़िलों में तहलका मचा दिया है। जोशी की तरफ से अधिवक्ता दीपक राज सिंह ने क्लब की गवर्निंग काउंसिल को कड़ी कानूनी चेतावनी देते हुए ₹2,500 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है और साथ ही क्लब में एक स्वतंत्र प्रशासक नियुक्त करने की भी सिफारिश की है। यह नोटिस 1 जून 2025 को जारी किया गया है।
नोटिस के मुताबिक, 29 मई 2025 को श्री जोशी संसद के सदस्य, वरिष्ठ नेता और व्यापार प्रतिनिधियों के साथ एक औपचारिक बैठक में हिस्सा लेने क्लब पहुंचे थे। यह बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकास के विजन’ के तहत आयोजित की गई थी, जिसमें देश के विकास से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा होनी थी। लेकिन क्लब पहुंचते ही श्री जोशी और उनके साथ आए लोगों को क्लब के कर्मचारियों द्वारा अपमानजनक और धमकी भरे व्यवहार का सामना करना पड़ा।
क्लब स्टाफ की अनाप-शनाप हरकतें, नेताओं के सामने दुर्व्यवहार
नोटिस में आरोप लगाया गया है कि क्लब के मैनेजर संजय सिंह, अटेंडेंट, डायरेक्टर अरविंद कुमार तथा अन्य स्टाफ सदस्यों ने जोशी और उनके साथियों के साथ अभद्रता की। उनके द्वारा न केवल अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया, बल्कि धमकी और आक्रामक रवैया भी अपनाया गया, जिससे जोशी की प्रतिष्ठा को गंभीर चोट पहुँची है।
सांसदों की अपील पर भी बदसलूशी जारी रही
नोटिस में यह भी बताया गया है कि मौके पर मौजूद कई सांसदों और गणमान्य व्यक्तियों ने क्लब स्टाफ से शिष्टाचार बनाए रखने का आग्रह किया, लेकिन कर्मचारियों ने अपनी ग़लत हरकतें नहीं रोकीं। वकील ने इसे लोकतांत्रिक मर्यादाओं और संस्थागत सम्मान का घोर उल्लंघन बताते हुए एक “सिस्टमेटिक फेल्योर” करार दिया है।

मानसिक क्षति और सार्वजनिक अपमान की बात भी उठी
नोटिस में कहा गया है कि इस घटना से जोशी की सार्वजनिक छवि और प्रतिष्ठा को गहरा नुकसान पहुंचा है। उनके सम्मान और मानसिक स्वास्थ्य को हुए नुकसान के लिए क्लब और संबंधित स्टाफ जिम्मेदार हैं। इसे “गंभीर मानहानि, मानसिक उत्पीड़न और पेशेवर छवि को नुकसान” बताया गया है।
क्लब प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल
नोटिस में कॉन्स्टिट्यूशन क्लब की प्रशासनिक व्यवस्था पर भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है। कहा गया है कि यह मामला केवल एक व्यक्तिगत घटना नहीं, बल्कि क्लब के भीतर प्रणालीगत दोष, सत्ता के दुरुपयोग और जवाबदेही की कमी को दर्शाता है। इसलिए क्लब में एक स्वतंत्र प्रशासक की नियुक्ति जरूरी बताई गई है ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
7 दिन में माफी और मुआवजा नहीं तो कानूनी कदम उठाएंगे
क्लब प्रशासन को नोटिस में 7 दिन का समय दिया गया है, जिसमें सार्वजनिक माफी और ₹2,500 करोड़ के मुआवजे की मांग की गई है। यदि यह मांगें पूरी नहीं हुईं तो वकील ने क्लब और कर्मचारियों के खिलाफ सिविल एवं आपराधिक न्यायालय में कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। यह कार्रवाई BNSS 2023, टॉर्ट कानून और अन्य संबंधित विधिक प्रावधानों के तहत की जाएगी।
क्लब की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं
इस पूरे विवाद पर क्लब की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। मगर यह मामला राजनीतिक और कानूनी दायरों में चर्चा का विषय बन चुका है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या इतने बड़े और प्रतिष्ठित संस्थान में भी जवाबदेही का अभाव है? क्या वीआईपी के साथ इस तरह का व्यवहार सामान्य होता जा रहा है? यह घटना न केवल एक व्यक्ति के अपमान की कहानी है, बल्कि संस्थागत जवाबदेही और लोकतांत्रिक मूल्यों की एक बड़ी परीक्षा भी है। आने वाले समय में इस मामले का और व्यापक रूप से उठान होने की संभावना है।
Leave a Comment