रेलवे का बड़ा कदम: जम्मू डिवीजन की शुरुआत से कश्मीर कनेक्टिविटी को मिलेगी रफ्तार

जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल को जोड़ने वाली रणनीतिक रेल परियोजनाओं को मिलेगा नया बल
भारतीय रेलवे ने उत्तर भारत में रेल नेटवर्क के विस्तार की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए 1 जून से अपना 70वां रेल मंडल — जम्मू रेलवे डिवीजन — आधिकारिक रूप से शुरू कर दिया है। यह नया मंडल उत्तर रेलवे क्षेत्र से अलग कर बनाया गया है और इसका मुख्यालय जम्मू तवी स्टेशन पर स्थित है। इसके तहत मुख्य रूप से उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं को गति देने और इस क्षेत्र में रेल संचालन को सुदृढ़ करने पर जोर रहेगा।
जम्मू डिवीजन 742 किलोमीटर लंबे रेल नेटवर्क का संचालन करेगा, जिसमें पठानकोट-जम्मू-श्रीनगर का 423 किमी लंबा रणनीतिक रेल कॉरिडोर और ऐतिहासिक कांगड़ा घाटी की संकरी गेज रेल लाइन भी शामिल है। भारतीय रेलवे ने हिमालयी क्षेत्र की जटिल भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्रशासनिक निर्णय प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाने और योजनाओं पर तेज़ी से अमल के लिए यह नया मंडल बनाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंडल का उद्घाटन जनवरी 2025 में किया था। उन्होंने इसे जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश को भारत के रेल नेटवर्क से प्रभावी रूप से जोड़ने की दिशा में एक “ऐतिहासिक उपलब्धि” बताया था। इसके साथ ही, अब इस क्षेत्र को दूर स्थित फिरोजपुर मंडल पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, जो अब तक रेल संचालन की जिम्मेदारी संभालता था।
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, जम्मू डिवीजन बनने के तुरंत बाद इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। हाल ही में एक ट्रायल रन में कश्मीर की चेरी को केवल 30 घंटे में मुंबई पहुंचाया गया, जबकि सड़क मार्ग से इसमें आमतौर पर 6-7 दिन लगते हैं। इससे क्षेत्र के खराब होने वाले उत्पादों के व्यापार को नई गति मिलने की उम्मीद है।
उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक के अंतिम हिस्से — कटरा से बनिहाल तक के खंड — पर भी अब काम तेज़ी से आगे बढ़ेगा। इसके साथ-साथ कई नई योजनाओं पर सर्वे भी चल रहे हैं, जिनमें 46 किलोमीटर लंबी बारामूला-उरी लाइन और 552 किलोमीटर लंबी भानुपल्ली-लेह रेल लाइन शामिल हैं। अगर ये योजनाएं पूरी होती हैं तो लद्दाख को पहली बार भारत के राष्ट्रीय रेल नक्शे पर जगह मिलेगी।
जम्मू डिवीजन के मंडल रेल प्रबंधक विवेक कुमार ने कहा, “यह क्षेत्र भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील है। समर्पित स्टाफ और सघन निगरानी के साथ हम समयबद्ध तरीके से राष्ट्रीय रेल परियोजनाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
भारतीय रेलवे के इस नए मंडल की शुरुआत न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों में संपर्क को बेहतर बनाएगी, बल्कि रक्षा परिवहन और व्यापारिक गतिविधियों को भी नया आयाम देगी। यह कदम देश के सबसे संवेदनशील और दुर्गम इलाकों की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।
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