हथियारों की राजनीति पर डॉ. के. ए. पॉल का तीखा हमला, 24 मई को वैश्विक शांति दिवस मनाने की अपील

एक प्रेस वार्ता में ग्लोबल पीस लीडर डॉ. के. ए. पॉल ने हथियारों की होड़ और युद्ध को बढ़ावा देने वाली नीतियों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हथियार बेचने के लिए अरब देशों से रिश्वत ली और युद्ध की संभावनाओं को नज़रअंदाज़ किया।
डॉ. पॉल ने कहा कि जब भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध का खतरा था, उस वक्त ट्रंप शांति स्थापित करने के बजाय अरब देशों में हथियारों की डील में व्यस्त थे। उन्होंने दावा किया, “भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध भगवान और मैंने रोका, ट्रंप ने नहीं।”
भारत से की आत्मनिर्भरता और वैश्विक शांति में नेतृत्व की अपील
डॉ. पॉल ने ज़ोर देकर कहा कि भारत को अब विदेशों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा, “भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यदि इसके सभी राजनीतिक दल एक मंच पर आएं, तो यह विश्व में शांति का संदेश फैला सकता है।”
धर्मों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति, शांति के लिए साझा मंच
सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के वकील और बौद्ध इंटरनेशनल फोरम फॉर पीस के अध्यक्ष आनंद एस. जोंधले और मुस्लिम समाज के वरिष्ठ नेता अशरफी अकबर अली भी उपस्थित रहे। सभी ने वैश्विक शांति की दिशा में एकजुट होकर कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया।
इंडिगो एयरलाइंस पर मानवाधिकार में हस्तक्षेप का आरोप
डॉ. पॉल ने भारत की इंडिगो एयरलाइंस की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने तुर्की में आयोजित शांति सम्मेलन में जाने से उन्हें रोका, जो मानवीय कार्यों में राजनीतिक हस्तक्षेप का खतरनाक संकेत है।
24 घंटे की वैश्विक शांति और प्रार्थना दिवस की घोषणा
डॉ. पॉल ने 24 मई को शाम 6 बजे से 25 मई शाम 6 बजे तक “वैश्विक प्रार्थना और शांति दिवस” मनाने की घोषणा की। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे अपने घरों, धार्मिक स्थलों या सार्वजनिक स्थानों पर कम से कम 5 मिनट शांति के लिए प्रार्थना करें।
नेताओं से की अपील – गांधी और पटेल की परंपरा को आगे बढ़ाएं
डॉ. पॉल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत विपक्षी नेताओं से आग्रह किया कि वे राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठें और भारत को वैश्विक शांति का नेतृत्व देने में भूमिका निभाएं।
भारत से शांति की शुरुआत का संकल्प
डॉ. पॉल ने अंत में सभी से आह्वान किया कि 24 मई को भारत से शांति की शुरुआत हो और यह दिन “शांति दिवस” के रूप में विश्वभर में मनाया जाए।
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