80 वर्षीय चंद्रबीर ओली की अनोखी मिसाल: पहाड़ तोड़कर अपने नेत्रहीन बच्चों के लिए बना दी 4 किलोमीटर लंबी सड़क

80 वर्षीय चंद्रबीर ओली की अनोखी मिसाल: पहाड़ तोड़कर अपने नेत्रहीन बच्चों के लिए बना दी 4 किलोमीटर लंबी सड़क

जहां लोग हालातों से हार मान लेते हैं, वहीं नेपाल के दांग जिले के रहने वाले चंद्रबीर ओली ने अपने हौसले और पिता के प्रेम की ऐसी मिसाल कायम की, जो सदियों तक लोगों को प्रेरित करती रहेगी।

80 वर्षीय चंद्रबीर ओली ने अकेले दम पर पहाड़ काटकर 4 किलोमीटर लंबी सड़क बना दी – वो भी अपने नेत्रहीन बच्चों के लिए।

जब बच्चों की तकलीफ ने जगा दी चट्टानों से लड़ने की ताक़त

कहानी तब शुरू होती है, जब चंद्रबीर ने देखा कि उनके नेत्रहीन बच्चे उबड़-खाबड़ रास्तों पर गिरते-पड़ते स्कूल या गाँव जाते हैं। दिल को छू जाने वाले इस दृश्य ने चंद्रबीर को एक ऐसा फैसला लेने पर मजबूर किया, जो किसी चमत्कार से कम नहीं।

72 वर्ष की उम्र में, बिना किसी सरकारी मदद के, उन्होंने फावड़ा और हथौड़ा उठाया और दिन-रात पत्थर तोड़ते हुए दो सालों में सड़क बना दी।

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सिर्फ रास्ता नहीं, यह है एक पिता का प्रेम और संघर्ष

आज 80 साल की उम्र में भी चंद्रबीर उस पर गर्व से खड़े होते हैं, जो उन्होंने अकेले किया। यह सड़क न केवल गाँव के अन्य लोगों के लिए राहत का रास्ता बनी है, बल्कि एक पिता के समर्पण का प्रतीक भी बन गई है।

उनकी बनाई सड़क से अब न केवल उनके बच्चे सुरक्षित चल सकते हैं, बल्कि आसपास के सैकड़ों ग्रामीणों को भी फायदा हुआ है।

एक परिवार की सच्ची कहानी

चंद्रबीर ओली की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। उनका जन्म रोल्पा में हुआ था और 25 साल की उम्र में वे काम की तलाश में भारत आए। कुछ साल बाद वे नेपाल लौटे और अपने ही गाँव की एक नेत्रहीन महिला से विवाह किया। उनके पांच बच्चे हुए, जिनमें से सिर्फ सबसे छोटा बेटा देख सकता है।

परिवार का गुज़ारा गाना गाकर होता है, लेकिन चंद्रबीर ने अपने जीवन का सबसे बड़ा गीत उस सड़क पर लिख दिया है, जो उन्होंने अपने बच्चों के लिए बनाई है।

पूरी दुनिया में बन रही है प्रेरणा

चंद्रबीर ओली आज केवल नेपाल के हीरो नहीं, बल्कि दुनिया के लिए प्रेरणा बन गए हैं। यह सड़क केवल मिट्टी और पत्थर से बनी नहीं है, बल्कि त्याग, प्रेम, संघर्ष और उम्मीदों की नींव पर खड़ी है।

“यह सिर्फ सड़क नहीं, एक पिता की मूक पुकार है – ‘मेरे बच्चों को रोशनी भले न मिली हो, पर मैं उन्हें रास्ता ज़रूर दूंगा।'”

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