नई दिल्ली, 1 अक्टूबर 2024
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के पवित्र लड्डू प्रसादम की पवित्रता और गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए, डॉ. के. ए. पॉल ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की है। डॉ. पॉल, जो विश्वविख्यात शांति दूत और ग्लोबल पीस इनिशिएटिव के अध्यक्ष हैं, ने प्रसादम की कथित मिलावट, राजनीतिक हस्तक्षेप, और भ्रष्टाचार के आरोपों की गहन जांच की मांग की है।
डॉ. पॉल का आरोप है कि तिरुमाला में वितरित किए जाने वाले लड्डू प्रसादम की गुणवत्ता में गिरावट आई है, जिससे भक्तों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच रही है। इस मुद्दे ने हाल ही में तूल तब पकड़ा जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और अभिनेता-राजनेता पवन कल्याण द्वारा लड्डू की शुद्धता पर सवाल उठाए गए, जिससे भक्तों में आक्रोश बढ़ गया है।
लड्डू प्रसादम की पवित्रता पर उठे सवाल
डॉ. पॉल की याचिका में मुख्य रूप से लड्डू प्रसादम की गुणवत्ता और स्वच्छता को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है। याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि प्रसादम की तैयारी में मिलावटी घी का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे इसकी पवित्रता और धार्मिक महत्व प्रभावित हो रहा है।
डॉ. पॉल ने कहा, “तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम हिंदू धर्म के सबसे बड़े धार्मिक स्थलों में से एक है, और लड्डू प्रसादम का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। इसकी पवित्रता से कोई भी समझौता भक्तों की आस्था को चोट पहुंचाने वाला है।”
राजनीतिक हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार का आरोप
याचिका में यह भी दावा किया गया है कि लड्डू प्रसादम की सामग्री की खरीद और वितरण में बड़े पैमाने पर राजनीतिक हस्तक्षेप हो रहा है। इसमें आरोप लगाया गया है कि राजनीतिक रूप से जुड़े ठेकेदार अनुचित लाभ उठा रहे हैं, जिससे प्रसादम की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
सांप्रदायिक तनाव और धार्मिक अधिकार
याचिका में सांप्रदायिक तनाव और धार्मिक अधिकारों के हनन का भी उल्लेख किया गया है। डॉ. पॉल ने संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला देते हुए कहा कि यह स्थिति हिंदू, ईसाई और मुस्लिम समुदायों के बीच धार्मिक सौहार्द्र को नुकसान पहुंचा रही है।
CBI जांच की मांग
डॉ. पॉल ने इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने की मांग की है ताकि लड्डू प्रसादम की गुणवत्ता, मिलावट, और भ्रष्टाचार के आरोपों की निष्पक्ष जांच हो सके। उनका कहना है कि इस मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह लाखों भक्तों की आस्था और धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है।
तिरुपति को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रस्ताव
याचिका की एक विशेष मांग में, डॉ. पॉल ने तिरुपति-तिरुमाला क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने या इसे वेटिकन सिटी की तरह एक स्वतंत्र धार्मिक राज्य के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव रखा है। उनका मानना है कि इससे मंदिर की पवित्रता और प्रबंधन में सुधार होगा और राजनीतिक हस्तक्षेप से बचा जा सकेगा।
सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की उम्मीद
सर्वोच्च न्यायालय के अगले कुछ हफ्तों में इस मामले पर सुनवाई करने की उम्मीद है। डॉ. पॉल को आशा है कि न्यायालय का निर्णय भक्तों के विश्वास को बहाल करेगा और तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम की पवित्रता को संरक्षित करने में मदद करेगा।
Leave a Reply