उत्तराखंड की वादियों में छिपा एक अनोखा गांव है, जिसे ‘द वीमेन विलेज’ या बुआरी गांव कहा जाता है। गढ़वाल क्षेत्र में स्थित यह गांव न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां की महिलाओं द्वारा संचालित हर एक पहल इसे विशेष बनाती है।
देहरादून से लगभग 121 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बुआरी गांव में कदम रखते ही एक अलग ही दुनिया का अनुभव होता है। विशाल पहाड़ों और हरे-भरे घास के मैदानों से घिरा यह गांव शहर की भीड़-भाड़ और शोर-शराबे से कोसों दूर है। यहां की महिलाएं न केवल गांव की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, बल्कि वे पर्यटन को भी बढ़ावा देती हैं। यहां की महिलाएं फार्म स्टे चलाती हैं, जिसमें वे पर्यटकों को स्थानीय भोजन, आरामदायक कॉटेज और लोकल कल्चर से रूबरू कराती हैं।
बुआरी गांव की महिलाएं यहां का हर काम खुद ही संभालती हैं। पर्यटकों के ठहरने के लिए यहां बने कॉटेज की सजावट से लेकर खाने की व्यवस्था तक, सबकुछ प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल से किया गया है। लकड़ी के बने फर्नीचर से लेकर हरियाली के बीच सुकून भरी सुबह तक, यहां हर चीज आपको ग्रामीण जीवन की सरलता का अनुभव कराती है।
यहां की महिलाएं सिर्फ घर और फार्म स्टे ही नहीं संभालतीं, बल्कि गांव की खेती से लेकर इंटरनेशनल वीमेंस डे पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं। हर साल यहां घास काटने की प्रतियोगिता होती है, जिसे देखने और इसमें हिस्सा लेने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
बुआरी गांव का यह मॉडल महिला सशक्तिकरण का जीता-जागता उदाहरण है। यहां की महिलाएं पर्यटन के माध्यम से अपनी आजीविका चलाती हैं और गांव का विकास करती हैं। वे पर्यटकों को ताजे फल, सब्जियां और स्थानीय गढ़वाली व्यंजन परोसती हैं। पर्यटक यहां फार्मिंग का अनुभव ले सकते हैं, घुड़सवारी कर सकते हैं और गांव के आसपास के ट्रेकिंग रास्तों पर एडवेंचर का मजा ले सकते हैं।
पर्यटक यहां आरामदायक कॉटेज में ठहरते हैं, जहां हर सुविधा के साथ ग्रामीण जीवन की सादगी भी देखने को मिलती है। बुआरी गांव, महिलाओं द्वारा संचालित भारत का ऐसा इकलौता गांव है, जो अपने अनूठेपन से हर आने वाले को मंत्रमुग्ध कर देता है।
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