नई दिल्ली, 12 सितंबर 2024 –
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) में गुरुवार को एक ऐतिहासिक कार्यक्रम के तहत बहुप्रतीक्षित पुस्तक ‘ट्रेजर्स ऑफ द गुप्ता एम्पायर’ का आधिकारिक विमोचन किया गया। इस शोध पुस्तक के लेखक श्री संजीव कुमार हैं, जो भारत के सबसे प्रभावशाली ऐतिहासिक कालों में से एक, गुप्त साम्राज्य, की हमारी समझ को बदलने का वादा करती है।
यह अद्वितीय पुस्तक अंतर्राष्ट्रीय इतिहासकारों और विद्वानों से व्यापक सराहना प्राप्त कर चुकी है। पुस्तक, गहन शोध पद्धति और वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर, गुप्त साम्राज्य (चौथी से छठी शताब्दी ईस्वी) के बारे में अब तक अनदेखे पहलुओं को उजागर करती है। इस किताब के जरिए, श्री कुमार हमारे इतिहास से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं को समझाते हैं और भारत के समृद्ध अतीत की कहानी को नए तरीके से पेश करते हैं।
IGNCA में आयोजित इस विमोचन कार्यक्रम में विद्वानों, इतिहासकारों और सांस्कृतिक प्रेमियों का एक प्रतिष्ठित समूह उपस्थित रहा। कार्यक्रम की मुख्य विशेषताओं में गुप्त साम्राज्य के दुर्लभ सिक्कों की प्रदर्शनी भी शामिल रही, जिसने उस काल के गौरवशाली अतीत के साथ एक सजीव संबंध स्थापित किया।
इस अवसर पर वक्ताओं के पैनल में शामिल प्रमुख हस्तियों में निम्नलिखित शामिल थे:-
- डॉ. सच्चिदानंद जोशी, अध्यक्ष और सदस्य सचिव, IGNCA
- डॉ. बी.आर. मणि, मुख्य अतिथि और महानिदेशक, राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली
- प्रो. के.के. थपलियाल, एमेरिटस प्रोफेसर, लखनऊ विश्वविद्यालय
- डॉ. संजय कुमार मंजुल, अतिरिक्त महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली
- डॉ. प्रशांत कुलकर्णी, अध्यक्ष, भारतीय सिक्का समाज; सम्माननीय फेलो, ओरिएंटल न्यूमिस्मैटिक सोसाइटी, यूके
- श्री संजीव कुमार, ‘ट्रेजर्स ऑफ द गुप्ता एम्पायर’ के लेखक
- प्रो. (डॉ.) रमेश सी. गौर, निदेशक – कला निधि, डीन (प्रशासन), IGNCA
- डॉ. दिलीप राजगोर, पूर्व निदेशक, डी.एम. इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूमिस्मैटिक्स एंड आर्कियोलॉजी, मुंबई विश्वविद्यालय
श्री कुमार की ‘ट्रेजर्स ऑफ द गुप्ता एम्पायर’ पुस्तक केवल एक ऐतिहासिक विवरण नहीं है, बल्कि यह गुप्तकालीन इतिहास की हमारी समझ को पुनः परिभाषित करने वाली एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। आधुनिक वैज्ञानिक विधियों का उपयोग कर, यह पुस्तक सम्राट समुद्रगुप्त, चंद्रगुप्त, कुमारगुप्त और स्कंदगुप्त जैसे शक्तिशाली शासकों के अज्ञात पहलुओं को उजागर करती है और पहले से चली आ रही ऐतिहासिक धारणाओं को चुनौती देती है।
Leave a Reply