दोहरी नागरिकता से हो सकता देश को फायदा, प्रयास की सराहना करते हुए बोले एमपी गिरिधारी यादव

दोहरी नागरिकता से हो सकता देश को फायदा, प्रयास की सराहना करते हुए बोले एमपी गिरिधारी यादव

परामर्श सम्मेलन में दोहरी नागरिकता को लेकर सांसदों के दृष्टिकोण पर चर्चा के लिए एक मंच किया प्रदान

इंडियन डायसपोरा ग्लोबल ने “कीप द डोर ओपन” अभियान के तहत आयोजित किया था यह परामर्श सम्मेलन

वैश्विक भारतीय प्रवासियों के लिए दोहरी नागरिकता की गई है मांग

नई दिल्ली, 16 जनवरी 2024

भारतीय मूल के व्यक्तियों के एक समूह, इंडियन डायसपोरा ग्लोबल ने दुनिया भर में भारतीय डायसपोरा के लिए दोहरी नागरिकता की वकालत करते हुए “कीप द डोर ओपन” अभियान शुरू किया है। इस अभियान का उद्देश्य उन भारतीय प्रवासियों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना है, जिन्हें मौजूदा नियमों के कारण दूसरे देश में नागरिकता प्राप्त करते समय अपनी भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ती है। भारत में दोहरी नागरिकता के कानूनी, संवैधानिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और विधायी पहलुओं पर गहराई से विचार करने के लिए इंडियन डायस्पोरा ग्लोबल ने दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशनल क्लब ऑफ इंडिया में मंगलवार को एक परामर्श सम्मेलन का आयोजन किया। इस परामर्श सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि एमपी बांका, लोकसभा श्री गिरिधारी यादव उपस्थित हुए। जबकि इस दौरान डायसपोरा ग्लोबल के फाउंडर और चेयरपर्सन श्री मेल्विन विलियम्स, श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ भारत के महामंडलेश्वर एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश राठौर, इंडियन डायसपोरा ग्लोबल कंट्री हेड एडवोकेट साजू फ्रांसिस, वरिष्ठ पत्रकार और कार्यक्रम मॉडरेटर श्री विनय कुमार और श्री मन्नू सिंह तौमर आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गिरिधारी यादव ने कहा, “दोहरी नागरिकता से देश को फायदा हो सकता है। अमेरिका जैसे विकसित देश में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है। कई तो ऐसे देश भी हैं जहां देश के लिए अलग और राज्य के लिए अलग नागरिकता है और वो काफी विकसित देश हैं। उन्होंने इस प्रयास की सहारना करते हुए कहा कि आप लोग दोहरी नागरिकता की बड़ी ईमानदारी से मांग कर रहे हैं। ये बहुत अच्छी मांग है। आप अगर प्रयास करें तो अलग-अलग संस्थान के माध्यम से इसके बारे में आवाज उठाकर सरकार तक पहुंचाई जा सकती है।”

इंडियन डायसपोरा ग्लोबल के फाउंडर और चेयरपर्सन मेल्विन विलियम्स ने इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, ” विदेशों में रह रहे भारत के लोगों को भारतीय बनाए रखने का प्रयास है। यहां के लोग पढ़ने लिखने के लिए बाहर जाते हैं और वहीं के हो कर रह जाते हैं। ऐसे लोगों को अपनी जड़ों से जोड़े रखने के लिए हम एक प्रयास कर रहे है कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी अर्थव्यवस्था और संपत्ति पर भारी नुकसान हो रहा है। घर वस्तुतः खाली हो रहे हैं। प्रतिभा पलायन कर रही है। हम भारतीय मूल को उनकी जड़ों से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि हम भारतीय प्रवासियों के लिए भारत में दोहरी नागरिकता चाहते हैं।”

श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ भारत के महामंडलेश्वर एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष व विधायक सुरेश राठौर ने कहा , “दोहरी नागरिकता संवेदनशील मामला है। ऐसे में एक व्यक्ति पाकिस्तान सरकार में भी मंत्री बन जाएगा और भारत सरकार में भी मंत्री बन जाएगा, ऐसा तो नहीं हो सकता। सरकार को इस पर सोचने की आवश्यकता है।”

वरिष्ट पत्रकार और कार्यक्रम के मॉडरेटर विनय कुमार ने कहा, “इंडियन डायसपोरा की ताकत हम सब लोग जानते हैं। इसे ज्वलंत मुद्दा बताते हुए उन्होंने कहा चाहे प्रधानमन्त्री के विदेशी दौरे हो या कोई और अवसर इंडियन डायसपोरा की ताकत की झलक हम सबने देखी है। दोहरी नागरिकता भारत के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है। आज एक भारत मूल की महिला US की उप राष्ट्रपति है, समय के साथ इंडियन डायसपोरा की ताकत बढ़ रही है।”

मन्नू सिंह तौमर ने कहा, ” दोहरी नागरिकता बहुत ही अहम मुद्दा हैं और हम सब साथ मिल कर इस मांग को आगे तक ले जाएंगे | यह मुद्दा विदेशों मे बसे करोड़ों भारतीय मूल के लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है।”

वोट आफ थैंक्स देते हुए इंडियन डायसपोरा ग्लोबल कंट्री हेड एडवोकेट साजू फ्रांसिस कहा, ” दोहरी नागरिकता को लेकर सिटिजनशिप एक्ट के आर्टिकल 9 को नजरंदाज किया जाता रहा है इस सेक्शन के तहत जब भी कोई भारतीय नागरिक किसी और देश की नागरिकता लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता चली जाती है। इसके तहत उस व्यक्ति को एक नोटिस देना होता है। वहीं जर्मनी में जब भी कोई स्व-सहमति से दूसरे देश की नागरिकता लेता है, सरकार की ओर से उसकी काउंसलिंग की जाती है।”

बता दें कि इस परामर्श सम्मेलन ने दोहरी नागरिकता के संबंध में सांसदों के दृष्टिकोण पर चर्चा के लिए एक मंच प्रदान किया। कार्यक्रम में दोहरी नागरिकता की अनुमति देने की वैश्विक प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला गया और व्यक्तियों के आर्थिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक कल्याण को लेकर इसके सकारात्मक प्रभाव पर जोर दिया गया।

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