सुहैल नायर ने साझा की ऋषि कपूर संग शूटिंग की भावुक याद, बोले – मेरे क्लोज-अप के लिए रुके, भावनाओं को पकड़ने में की मदद
फिल्म ‘शर्माजी नमकीन’ की शूटिंग के दौरान दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर का व्यवहार आज भी उनके सह-कलाकारों के दिलों में जीवित है। अभिनेता सुहैल नायर ने एक इंटरव्यू में वह खास पल साझा किया, जब ऋषि कपूर ने शूटिंग पैकअप के बावजूद उन्हें एक अहम सीन में भावनात्मक संबल दिया।
सुहैल ने बताया, “फिल्म में एक इमोशनल सीन था जिसमें पिता और बेटे के बीच बहस होती है। ऋषि सर अपना हिस्सा शूट कर चुके थे और पैकअप की घोषणा भी हो चुकी थी। लेकिन उन्होंने पूछा कि क्या मेरा क्लोज-अप बाकी है। जब उन्हें बताया गया कि हां, तो उन्होंने सेट छोड़ने से मना कर दिया। वे रुके और मेरे सामने खड़े होकर लाइव डायलॉग बोले ताकि मैं सीन में पूरी भावनात्मक गहराई ला सकूं।”
सुहैल ने कहा कि यह अनुभव उनके लिए बहुत खास था। “अगर आप फिल्म में वह दृश्य देखेंगे, तो महसूस करेंगे कि उसमें कितनी सच्चाई और संवेदना है। ऋषि सर ने न केवल एक सीन को बेहतर बनाया, बल्कि मेरे अभिनय को भी संवार दिया।”
ऋषि कपूर की आखिरी फिल्म थी ‘शर्माजी नमकीन’
‘शर्माजी नमकीन’ ऋषि कपूर की अंतिम फिल्म थी, जिसे वे पूरा नहीं कर सके। उनके निधन के बाद अभिनेता परेश रावल ने फिल्म के अधूरे हिस्सों को पूरा किया। इस फिल्म में जूही चावला, सुहैल नायर और सतीश कौशिक जैसे कलाकारों ने भी अहम भूमिकाएं निभाईं।
कहानी: बुजुर्ग की रिटायरमेंट के बाद की नई शुरुआत
फिल्म की कहानी दिल्ली के सुभाष नगर में रहने वाले बीजी शर्मा नामक एक सेवानिवृत्त व्यक्ति पर आधारित है, जिसे खाना पकाने का शौक होता है। रिटायरमेंट के बाद वह महिलाओं की किट्टी पार्टियों में खाना बनाना शुरू करता है। जब यह बात उसके बेटों को पता चलती है तो घर का माहौल तनावपूर्ण हो जाता है। फिल्म में बुजुर्गों की भावनाएं, अकेलापन, पारिवारिक रिश्तों की जटिलताएं और काम के प्रति सम्मान को हल्के-फुल्के अंदाज़ में पेश किया गया है।
दिल्ली की जीवनशैली को पर्दे पर उतारने वाला निर्देशन
हितेश भाटिया द्वारा निर्देशित इस फिल्म में दिल्ली के रंग, संस्कृति और संवेदनाओं को बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया है। ‘शर्माजी नमकीन’ 31 मार्च 2022 को अमेज़न प्राइम वीडियो पर रिलीज़ हुई थी और दर्शकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया पाई थी।
ऋषि कपूर: एक कलाकार जो दूसरों की मदद को हमेशा तैयार रहे
सुहैल नायर की यह स्मृति केवल ऋषि कपूर के अभिनय कौशल की नहीं, बल्कि उनकी विनम्रता और इंसानियत की भी मिसाल है। एक सच्चे कलाकार की पहचान सिर्फ पर्दे पर नहीं, बल्कि सेट पर अपने सह-कलाकारों के साथ व्यवहार में भी झलकती है – और ऋषि कपूर इस बात के प्रतीक थे।
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