रामालय फाउंडेशन की ‘एटरनल कृष्णा’ संध्या में गूँजे श्रीकृष्ण के शाश्वत उपदेश
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने किया सांस्कृतिक संवाद का नेतृत्व; मीनाक्षी लेखी, दुर्गा शंकर मिश्रा और प्रशांत कुमार ने श्रीकृष्ण के शाश्वत संदेश का अभिनंदन

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने किया सांस्कृतिक संवाद का नेतृत्व; मीनाक्षी लेखी, दुर्गा शंकर मिश्रा और प्रशांत कुमार ने श्रीकृष्ण के शाश्वत संदेश का अभिनंदन
नई दिल्ली: रामालय फाउंडेशन ने डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, नई दिल्ली में “एटरनल कृष्णा: धर्म, भक्ति और भाग्य एक उभरती दुनिया में” शीर्षक से एक भव्य सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों के नेता, चिंतक और आध्यात्मिक व्यक्तित्व एकत्र हुए और भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षाओं की शाश्वत प्रासंगिकता पर विचार-विमर्श किया।

कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। पूर्व विदेश राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए, जबकि योगी प्रभु अनुपम दासजी ने अपने आध्यात्मिक उद्बोधन से कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।
सभा को संबोधित करते हुए श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, “भगवान कृष्ण करुणा, साहस और धर्मनिष्ठा के प्रतीक हैं। गीता के उनके उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने सदियों पहले थे। यह सुखद संयोग है कि हम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, जिनका नेतृत्व भी सेवा और सांस्कृतिक गौरव के मूल्यों पर आधारित है, के जन्मदिवस पर इन शाश्वत सत्यों पर विमर्श कर रहे हैं।”
इस अवसर पर श्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा ‘श्रीकृष्ण लीला कलेक्शन’ का औपचारिक समर्पण भी किया गया। यह अनूठा संग्रह भगवान कृष्ण की दिव्य लीलाओं को श्रद्धा, संस्कृति और सुगंध के माध्यम से प्रस्तुत करता है। इस समर्पण को कार्यक्रम की ऐतिहासिक उपलब्धि माना गया, क्योंकि यह भारत की आध्यात्मिक धरोहर को आधुनिक प्रस्तुति में विश्व मंच तक पहुँचाने का संकल्प प्रतीक है।
श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने परंपरा और आध्यात्मिकता के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “कृष्ण की लीलाएँ केवल कथाएँ नहीं हैं, बल्कि साहस, प्रेम और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं। रामालय फाउंडेशन का यह प्रयास हमें याद दिलाता है कि अध्यात्म जीवन से अलग नहीं बल्कि उसका अभिन्न हिस्सा है। यह प्रधानमंत्री के उस दृष्टिकोण से भी मेल खाता है, जिसमें भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच तक पहुँचाने का संकल्प निहित है।”
अपने विचार रखते हुए श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा, “राष्ट्र तभी प्रगति करता है जब वह अपनी सभ्यतागत शक्ति को साथ लेकर चलता है। ऐसे कार्यक्रम इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि आधुनिकता की राह पर बढ़ते हुए भी हम धर्म और परंपरा से जुड़े रहें।”
रामालय फाउंडेशन की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए संस्थापक श्री प्रशांत कुमार ने कहा, “2019 में भगवान राम के प्रति व्यक्तिगत कृतज्ञता के भाव से शुरू हुई यह पहल आज एक व्यापक सांस्कृतिक प्रयास बन गई है। इसका उद्देश्य लोगों को भारत की समृद्ध विरासत से जोड़ना, भक्ति को जीवन का हिस्सा बनाना और अपनी जड़ों से जुड़े रहकर संस्कृति का उत्सव मनाना है।”
कार्यक्रम का समापन संगीत प्रस्तुतियों के साथ हुआ और इस संकल्प के साथ किया गया कि रामालय फाउंडेशन आने वाले समय में भी भारत की आध्यात्मिक विरासत को समाज और नई पीढ़ियों तक पहुँचाने का कार्य निरंतर करता रहेगा।
Leave a Comment