कक्षा में पिछड़ने से लेकर 13 विषयों में UGC-NET पास करने तक: डॉ. लक्ष्मण सिंह की असाधारण यात्रा
‘टॉपर नहीं, विचारक बनो’: डॉ. सिंह का जीवन हर हारने वाले के लिए जीत की मिसाल है नई दिल्ली, 28 जुलाई 2025 उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फरनगर निवासी डॉ. लक्ष्मण सिंह...

‘टॉपर नहीं, विचारक बनो’: डॉ. सिंह का जीवन हर हारने वाले के लिए जीत की मिसाल है
नई दिल्ली, 28 जुलाई 2025
उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फरनगर निवासी डॉ. लक्ष्मण सिंह ने UGC-NET परीक्षा 13 अलग-अलग विषयों में पास कर एक अनोखा शैक्षणिक कीर्तिमान स्थापित किया है। हाल ही में उन्होंने जून 2025 सत्र में पुरातत्व विषय में NET पास किया, और ये सभी उपलब्धियां उन्होंने बिना किसी कोचिंग के हासिल की हैं। इससे पहले वे राजनीतिक विज्ञान, समाजशास्त्र, भारतीय संस्कृति, नाट्यकला (JRF के साथ) जैसे विषयों में भी NET पास कर चुके हैं।
डॉ. सिंह की शुरुआती पढ़ाई आसान नहीं रही। वे चौथी कक्षा में, फिर दो बार नौवीं में फेल हुए और स्नातक में केवल 39% अंकों से पास हुए। लेकिन पढ़ने का जुनून इतना था कि उन्होंने जमिया मिलिया इस्लामिया से एमफिल और पीएचडी की, जिसमें उन्होंने नेपाल के 58 ज़िलों में मोटरसाइकिल से घूमकर दलित कला पर फील्ड रिसर्च की।

उन्होंने जेएनयू की प्रवेश परीक्षा 33 बार पास की है—MA, MPhil और PhD के विभिन्न विषयों में—सिर्फ यह परखने के लिए कि वे कितनी गहराई से विषयों को समझते हैं। धर्म, साहित्य, इतिहास और समाजशास्त्र में उनकी गहरी रुचि है। इसी खोज में वे ईरान भी गए, जहाँ उन्होंने पारसी धर्म और सूफी परंपराओं पर अध्ययन किया और एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल Parsiana में लेख प्रकाशित किया।
डॉ. सिंह का योगदान केवल अकादमिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। 2022 में उन्होंने दिल्ली में यौनकर्मियों के अधिकारों पर एक सार्वजनिक चर्चा का आयोजन किया और Raid De Himalaya मोटरबाइक रैली में भाग लिया। वे जेएनयू में पावरलिफ्टिंग में स्वर्ण पदक भी जीत चुके हैं। हाल ही में उन्होंने Sweatpants नामक एक हॉलीवुड फिल्म का सह-निर्माण किया है, जो अमेरिका में रह रहे अनडॉक्यूमेंटेड भारतीय प्रवासियों की चुनौतियों पर आधारित है।
डॉ. सिंह अब 81 विषयों की एक सूची पर काम कर रहे हैं और अगले कुछ वर्षों में 25 और UGC-NET परीक्षाएं देने की योजना बना रहे हैं। वे कहते हैं, “स्कूल में फेल होना आपके भविष्य की पहचान नहीं करता। आपको टॉपर बनने की ज़रूरत नहीं है, विचारक बनना ज़्यादा ज़रूरी है।”
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