रामालय फाउंडेशन का मिशन — भारत की परंपराओं और वैश्विक चेतना के बीच सेतु निर्माण
नई दिल्ली: कला, भक्ति और सुगंध की अनूठी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए रामालय फाउंडेशन ने पेरिस में भारत के यूनेस्को राजदूत श्री विशाल वी. शर्मा को ‘श्रीकृष्ण लीला कलेक्शन’ समर्पित किया।
यह मुलाकात भारत के यूनेस्को मिशन के दूतावास में हुई, जहाँ दोनों ने भारतीय आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक विरासत की आधुनिक विश्व में प्रासंगिकता पर सार्थक संवाद किया। बातचीत के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि भारत की सभ्यतागत परंपराएँ आज भी वैश्विक स्तर पर शांति, संतुलन और आपसी समझ की प्रेरणा देती हैं।
राजदूत श्री विशाल वी. शर्मा ने भारत की सभ्यता, दर्शन और संस्कृति की उस गहराई पर विचार साझा किए जो विश्व के राष्ट्रों को जोड़ने का सेतु बनती है। उन्होंने कहा, “भारत की संस्कृति सदैव सीमाओं से परे रही है। कला, सुगंध और भक्ति जैसे माध्यमों से ऐसे प्रयास पूरी दुनिया में भारत की आत्मा का संदेश फैलाते हैं।”
इस अवसर पर श्री प्रशांत कुमार ने कहा, “राजदूत श्री विशाल शर्मा जी से भेंट हमारे लिए प्रेरणादायक रही। भारतीय दर्शन की उनकी गहरी समझ और भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंचों पर सशक्त करने का उनका प्रयास, उसी भावना को दर्शाता है जिस पर ‘श्रीकृष्ण लीला कलेक्शन’ आधारित है — भक्ति, कला और चेतना। उनके मार्गदर्शन से हमें भारत की सुगंध और कहानियों को विश्व तक पहुँचाने में निरंतर प्रेरणा मिलेगी।”
‘श्रीकृष्ण लीला कलेक्शन’ कला, सुगंध और कथा का एक अनोखा संगम है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की दस दिव्य लीलाओं को पारंपरिक पट्टचित्र कला, प्राचीन सुगंधीय विधाओं और भावनात्मक कथाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। यह संग्रह भारत की आत्मा और सौंदर्य का संवेदनशील प्रतिनिधि है — जो आध्यात्मिकता, शिल्पकला और भक्ति को आधुनिक सांस्कृतिक अनुभव में जोड़ता है।
पेरिस में यह प्रस्तुति ‘श्रीकृष्ण लीला इंटरनेशनल समर्पण सीरीज़’ का एक अहम अध्याय रही, जिसकी सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ इससे पहले भारत, लंदन और कोपेनहेगन में भी की जा चुकी हैं। यह पहल रामालय फाउंडेशन के उस उद्देश्य को आगे बढ़ाती है, जो भारत की परंपराओं और वैश्विक चेतना के बीच सेतु निर्माण के लिए सुगंध को शांति और सौहार्द की भाषा के रूप में प्रस्तुत करता है।