Bihar Bhumi: सियासत बदली, चेहरे बदले, लेकिन Bihar की पहचान उसके बहुधार्मिक संस्कार, आध्यात्मिक विरासत और सहिष्णु संस्कृति से ही आज भी कायम है।
14 नवंबर 2025, नई दिल्ली
चुनावी मौसम आते ही Bihar में राजनीतिक बहसें तेज हो जाती हैं—कौन आएगा, कौन जाएगा, किसकी सत्ता टिकेगी और किसकी नहीं। लेकिन Bihar की असल पहचान इन सियासी उतार-चढ़ाव से कहीं ऊपर है।
यह धरती सदियों से बहुधार्मिक परंपराओं, आध्यात्मिक विरासत और सांस्कृतिक सहिष्णुता की जीवित मिसाल रही है। शासन बदला, राजनैतिक समीकरण बदले, लेकिन Bihar की यह आध्यात्मिक धारा कभी नहीं टूटी।
हर धर्म की धड़कन बसती है इस मिट्टी में
Bihar की धरती पर हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख और इस्लामी-सूफी परंपराएं एक साथ फलती-फूलती रही हैं। यही कारण है कि Bihar न केवल राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का केंद्र भी है।
हिंदू परंपरा—तीर्थ, तप और पुराणों की भूमि
गया का विष्णुपद मंदिर दुनिया भर से आने वाले श्रद्धालुओं का मुख्य आकर्षण है। पिंडदान की परंपरा यहां हजारों वर्षों से चली आ रही है।
पटना, मुंगेर, दरभंगा और मिथिला क्षेत्र प्राचीन कथाओं, देवी-देवताओं और योग परंपराओं से भरे हुए हैं।
मधुबनी के प्राचीन शिवालय और मुंगेर का योगिक इतिहास बिहार को हिंदू धर्म के लिए विशेष बनाता है।
बौद्ध धर्म—जहां मिला बुद्ध को ज्ञान, वहीं चमका बिहार
Bihar का नाम पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म से रोशन हुआ।
बोधगया वह स्थान है जहां सिद्धार्थ गौतम बुद्ध बनकर उभरे।
नालंदा, राजगीर, वैशाली और गया बौद्ध इतिहास के अमूल्य अध्याय हैं।
यह विरासत आज भी लाखों अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को बिहार की ओर आकर्षित करती है।
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जैन धर्म की जन्मभूमि—महावीर की धरती
वैशाली में जन्मे भगवान महावीर ने जैन धर्म को अहिंसा और तप की नई व्याख्या दी।
राजगीर, पावापुरी और चंपारण जैन साधना के सबसे प्रमुख केंद्र रहे।
पावापुरी वह पवित्र भूमि है जहां महावीर ने अंतिम सांस ली।
सिख परंपरा—पटना साहिब की अनूठी गरिमा
पटना साहिब सिख धर्म का पवित्र धाम है, जहां गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ था।
तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब दुनिया के पांच तख्तों में शामिल है और सिख समुदाय का आध्यात्मिक गौरव है।
सूफी परंपरा—प्रेम, मेलजोल और करुणा का संदेश
मनेर शरीफ, बिहार शरीफ, जहानाबाद और पटना की सूफी दरगाहें हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल रही हैं।
यहां के सूफी संतों ने प्रेम, सद्भाव और मानवता का संदेश फैलाया, जो आज भी बिहार की सामाजिक संरचना में गहराई से मौजूद है।
बिहार का मूल स्वभाव—धर्म नहीं, विविधता का सम्मान
चाहे राजनीतिक समीकरण कितनी भी बार बदल जाएं, Bihar का चरित्र सदा आध्यात्मिक और बहुधार्मिक रहा है।
भागवत धारा, बुद्ध की ध्यान परंपरा, महावीर की अहिंसा, गुरु गोबिंद सिंह की वीरता और सूफी संतों की करुणा—ये सब मिलकर बिहार की आत्मा रचते हैं।
Bihar की सच्ची पहचान यही है कि यहां धर्म का अर्थ किसी एक विचारधारा का प्रभुत्व नहीं, बल्कि सभी परंपराओं के सह-अस्तित्व का संदेश है।
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