वेद क्षेत्र में उत्कृष्ट विद्यार्थियों, शिक्षकों और विद्यालयों को मिलेगा सम्मान और पुरस्कार राशि।
नई दिल्ली: भारतात्मा अशोकजी सिंघल की पुण्य स्मृति में 17 नवम्बर को पुणे में वेद पुरस्कार समारोह का आयोजन होगा, जिसमें वैदिक संस्कृति और ज्ञान की परंपरा को जीवंत रखने वाले श्रेष्ठ आचार्यों को सम्मानित किया जाएगा।
भारतात्मा वेद पुरस्कार स्व॰ श्री अशोकजी सिंघलजी की पुण्य स्मृति में प्रतिवर्ष प्रदान किए जाते हैं। स्व॰ श्री अशोकजी सिंघल श्री राम जन्मभूमि आन्दोलन के प्रमुख नेतृत्व कर्ता थे और विश्व हिन्दू परिषद् के संस्थापक सदस्य भी। श्री सिंघल विश्व हिन्दू परिषद् के बीस वर्षों से भी अधिक समय तक अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे थे। श्री अशोकजी सिंघल प्राचीन भारतीय वैदिक ज्ञान परम्परा व गुरुकुल प्रणाली के अत्यन्त पक्षधर थे। श्री सिंघलजी की वेदों में अत्यन्त आस्था व श्रद्धा थी। साथ ही वे हमारे प्राचीन वैदिक ग्रन्थों के समर्पित अध्येता भी थे। उन्होनें अपने जीवनकाल में वैदिक ज्ञान व वैदिक अध्ययन परम्परा के संरक्षण व संवर्द्धन में भी अपना अमूल्य योगदान दिया।
भारतात्मा अशोकजी सिंघल वेद पुरस्कार स्वर्गीय श्री अशोकजी सिंघल की पुण्य स्मृति में विगत आठ वर्षों से प्रदान किए जा रहे हैं। पुरस्कारों की शृंखला में यह नवीं शृंखला है। भारतात्मा वेद पुरस्कार वैदिक क्षेत्र में प्रदान किया जाने वाला एक उच्च व प्रतिष्ठित पुरस्कार है। भारतात्मा पुरस्कार उत्कृष्ट वेदविद्यार्थी, आदर्श वेदाध्यापक और उत्तम वेदविद्यालय इन तीन श्रेणियों में प्रदान किया जाता है। जिसमें क्रमशः तीन लाख, पाँच लाख व सात लाख रु॰ की राशि , प्रमाण पत्र व स्मृति चिह्न प्रदान किए जायेंगे।
इन पुरस्कारों के अलावा एक वेदार्पित जीवन स्म्मान भी प्रदान किया जाता है। वेदार्पित जीवन सम्मान ऐसे वैदिक विद्वान को प्रदान किया जाता है, जिनकी आयु 65 वर्ष से अधिक है और जिन्होने अपने सम्पूर्ण जीवन में वैदिक जीवनचर्या की अनुपालना की हो तथआ वैदिक ज्ञान-सम्पदा की साधना-उपासना व अध्ययन-अध्यापन परम्परा में अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित कर दिया हो। इस सम्मान के अन्तर्गत पाँच लाख रु॰ की राशि व प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है।
भारतात्मा पुरस्कार विजेताओं के नामों की घोषणा कार्यक्रम के दौरान ही की जायेगी।

