CAA कानून पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश आदिवासी क्षेत्रों पर नहीं होगा लागू
नई दिल्ली, 12 मार्च 2024
मोदी सरकार ने सोमवार को अपना वादा पूरा करते हुए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019, को पूरे देश में लागू कर दिया है, परंतु कुछ ऐसे भी राज्य हैं जहां यह कानून लागू नहीं होगा। आपको बता दें पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश आदिवासी क्षेत्रों पर यह कानून लागू नहीं होगा, जिनमें संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत विशेष दर्जा प्राप्त क्षेत्र भी शामिल हैं। भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत कुछ जनजातीय क्षेत्रों को स्वायत्त संस्थाओं के रूप में प्रशासन प्रदान करता है।
सीएए कानून में यह कहा गया है कि ऐसे राज्य जहां देश के अन्य क्षेत्रों से आने वाले आगंतुकों को इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की आवश्यकता होती है, इसे नहीं अपनाएंगे।
अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर राज्य ILP के अंतर्गत आते हैं। सोमवार को अधिसूचित किए गए कानून के नियमों का हवाला देते हुए, अधिकारियों ने कहा है कि आदिवासी क्षेत्र, जिनकी स्वायत्त परिषदें संविधान की 6 वीं अनुसूची के तहत स्थापित की गई थीं, वे भी सीएए के अधिकार क्षेत्र से मुक्त हैं। इनमें कार्बी आंगलोंग, दिला हसाओ और बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद के असमिया क्षेत्र, मेघालय की गारो पहाड़ियाँ, और त्रिपुरा के जनजातीय क्षेत्र शामिल हैं।
सीएए के कानून के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
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